सिलसिले

एक मोड़ पे जो छूट गया किस्सा क्यो वो उठाने लगे
खत्म हो गए जो सिलसिले वो फिर क्यो बनाने लगे

मजझार में फसी कश्तियों को साहिल नही मिलता
तुम इस मांझी को शहरों के किस्से क्यो सुनाने लगे

बरसो के बाद फिर वापस लौट आया मैं तेरे शहर में
यहां बगीचे बोए फूल के क्यो ये कांटो के कारखाने लगे

दोजख जन्नत सबका मोह हमने चुटकियों में छोड़ा
तू अपनी सोच तुझे तो ये सब भुलाने में जमाने लगे

सुना है सारे जहान का घर बन बैठा है तेरा ये दिल
अब यहाँ पर  एक दो हमारे भी  तो शामियाने लगे

बड़े चर्चे थे तुम्हारे हुस्न की बागानी के सारे शहर में
उस बाग के सारे फूल मुझे मुरझाए और पुराने लगे


हम गए थे मुसाफिर बन खुदा तक तेरा पता पूछने
वो एक एक करके तेरे किये सारे जुल्म गिनाने लगे

अब भरोसा नही रहा मुझे तुम्हारे किये हुए वादों पर
बात हुई थी फूलो की, तुम दामन में कांटे उगाने लगे


सुना है आंखे खोल देती है दिल मे छुपा सारा राज
इसीलिए इजहारे मोहब्बत में तुम आंखे चुराने लगे


खूब देखी हमने तुम्हारी दरियादिली और रहनुमाई
आग भी लगाई तुमने और फिर  तुम ही बुझाने लगे


ये तुम्हारी दिल्लगी का खेल भी मेरी समझ मे नही आता
जब पास था तो दूर हुए जो दूर गए तो पास आने लगे

बहुत आरजू लिए हम आये थे आपको अपनी सुनाने
मेरी सुनने को कौन कहे आप तो अपनी राग गाने लगे

ख्वाबो को हकीकत में बदलने हम आपके पास आये
सच करना तो दूर आप मेरी आंखों के ख़्वाबे उड़ाने लगे


कुछ ऐसा असर हुआ आपकी मोहब्बत का मुझपर
खुशी को कौन कहे हम तो गमो को पास बुलाने लगे

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