मरहम

थक गए है हम अपने इन जख्मो को सिलते सिलते
अक्सर रह जाते है इन घावों के मरहम बनते बनते

बड़ी अजीब ही कहानी है उनसे दोस्ती की मेरे साथ
कदम तो मिल जाते पर दिल रह जाते है मिलते मिलते

बड़े फक्र से तुम घूमे इन नई दुकानों की बाज़ारो में
फिर वापस घर तुम लौट ही आये दिन ढलते ढलते

बड़े अदब से सजाया सपनो को मैंने तेरे बागानों में
वो फूल उम्मीद का रह गया शाख पर खिलते खिलते

खुद कोई रास्ता नही चुना हमने तेरे पास जाने का
हम यूँ ही इत्तेफाकन मिले इन रास्तो में चलते चलते

वक़्त पर संभाला मैंने खुद को इश्क़ में फना होने से
वरना तबाह हो ही गये थे इस आग में जलते जलते

मेरी शख्शियत ने तो शाहों का भी भरम तोड़ दिया 
तेरी क़ुरबत के लिए वो सारे भी रह गए हाथ मलते मलते

जो दफन रखा हमने अपने सीने में सारी उम्र भर
खोल दिए वो सारे राज उसके सामने मरते मरते

खुदा ने भी इश्क़ से तौबा कर ली तेरी जफ़ा के बाद
हार गया था वो भी अब मोहब्बत तुझसे करते करते

दिल की धड़कन बड़े जोर से धड़की इजहारे इश्क़ में
कह ही दिया उनसे अपनी बात सारी हमने डरते डरते

दिल की तो उन्हें बता दी फिर दिल ऐसा धड़का की
हम रह गए उनकी मोहब्बत का इकरार सुनते सुनते

दिल की बात दिल मे रखी तुम किसी और के होगए
और हम रह गए आपके साथ का ख्वाब बुनते बुनते

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