आँधियाँ
रिश्ते बनाने बिगाड़ने की जो शर्त है उसे मंजूर करो
दोस्ती करो , दुश्मनी करो जो भी करो भरपूर करो
यूँ तो जंग मंजिल नही किसी मुसाफिर के रास्ते की
खामोशी जब कायरता बने तो जंग भी जरूर करो
आंधिया बेशक बिखेर दे तिनका तिनका घरौंदे का
तूफानों में घरों के ईंटे जोड़ने का काम बदस्तूर करो
गैरो के चमचमाते हुए शीशे के महल काम न आएंगे
टूटा फूटा जैसा है घर तुम्हारा है उसी पर गुरूर करो
हवाएं रुख बदल दे समंदर भी जाने का रास्ता दे दे
कोहसारे भी हट जाए जिद से इतना मजबूर करो
मुसब्बिर ने ऐसा बनाया इसे बात बात पे घबराता है
बहुत नाजुक है दिल तेरा इसे थोड़ा सा मगरूर करो
सुना था लोगो ने नाम थोड़ा बहुत तेरा इस शहर में
शराफत छोड़ोअब बदनामी से खुद को मशहूर करो
मुश्किलो को चीर दो,इन खामियों को खत्म कर दो
जो भी सिर उठे तुम पर उन सबको चकनाचूर करो
कम पड़ जाए आसमां का छत ये जमीन की चादर
मोहब्बत इस अजल से जितनी हो उतनी मामूर करो
इसकी आंखे समेटे है हज़ारो दिलकश मंजरों को
इज़हारे इश्क़ मेरा भी दिल कर रहा इसे भी मंजूर करो
राजदार अपना दिल खोल डालो आईने के सामने
राज जो कुछ भी तूने छिपाया उसे अब जूहूर करो
वक़्त हालात लोग सौ मुश्किल पैदा करेंगे रास्तो में
उठो आंखे मिलाओ इनसे खुद को नही मफरूर करो।
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