शहर में बारिस
दौर ए गुल में भी काँटो की नुमाइश होती है
यहाँ हर रोज रिश्तो से आजमाइश होती है
जिस दिन भी मिलने को वो राजी हो जाते है
अक्सर उसी दिन मेरे शहर में बारिश होती है
ऐसा नही की सिर्फ ये बादल जिम्मेदार है
इसमे थोड़ी बहुत उनकी भी ख्वाहिश होती है
जो दो चार फूल चुनके अपने दामन में रखे है
उनसे ही बगवां की हुनर की सताइश होती है
दौर ए इश्क़ में ये दिल कुछ ऐसा टूटा बावरें,
की हर चेहरे पर चाँद से सिफ़ारिश होती है
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