दिलेनादान को तेरे नाम से ही मिलता क्यूँ सुकूँ है।
न जाने ये क्या तमन्ना है,न जाने ये कैसी आरजू है,
दिलेनादान को तेरे नाम से ही मिलता क्यूँ सुकूँ है।
यूँ तो कहने को इस सारे जहां की दौलत पास है,
पर जो देखा जाए तो मेरे खजाने में सिर्फ तू है।
एक दिन तुमने जो मुझको अपने गले लगाया था,
मेरे लिबास में अब तक तेरे जिस्म की खुशबू है।
एक उदासी एक खला सी हर वक़्त छाई रहती है,
तू सामने है फिर जाने दिल को किसकी जुस्तजू है।
मेरे घर मे ही नही तेरी चर्चा सारे शहर में चारसू है,
हर जुबां पे नाम है तेरा हर लफ्ज पे तेरी गुफ्तगू है।
आजमा कर देखना किसी दिन मेरे प्यार को तुम
जितना पहले था ये आज भी उतना ही बा वजू है।
देखना कहीं तुम सरेआम मत कर देना,
अब तुम्हारे ही हाथ मे मेरी मोहब्बते आबरू है।
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