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Showing posts from January, 2023

घर जाने को जी चाहता है

बारिस बनके आयी है

हर बार जला हूँ

आँखों मे नींद कहाँ आएगी

तारो जैसी आंखे

मोहब्बत करके हार चुका है

उनकी याद आयी है

बादल बेमौसम बरस गया

तेरे जाने के बाद

जरूरी तो नहीं

कभी कफा मांगता हूं

मेरे शहर मैं अब तुझसे जुदा होने को हूँ।

अर्जुन व्यथा

शहर में बारिस

दिलेनादान को तेरे नाम से ही मिलता क्यूँ सुकूँ है।