धरा

मेरी मातृभूमि है ये, इसका कण कण मुझे प्यारा है
इस मां के रेतीले आंचल ने हर बच्चे को पुचकारा है
थके जो जीवन के संघर्षों से इसने हमे आराम दिया
इसके सीने पर कोई आये ये किस बेटे को गवारा है

विस्तार यही धरा है मेरी, यही है मेरा अंतिम सत्य 
मेरे सारे जीवन पर इस धरती माँ का है अधिपत्य
विचलित न होती कभी, न कभी गति को खोती है
धीरज इसका जो धर्म है,स्वभाव है इसका सातत्य


प्यास लगी बेटे को सीना चीर कर पानी पिलाया है 
इस मां ने आँचल पर खेतो के अन्न हमे खिलाया है
कर्ज है  इसका इतना जो जीवन भी कम पड़ता है
खत्म हुई राह जिंदगी की माँ ने गोदी में सुलाया है


सर की पगड़ी का गुरूर है ये पुरखों की विरासत है
विश्वास है ये मिट्टी मेरी,मेरे दोनो हाँथो की ताकत है
उंगली उठाये माँ पर जो वो हाथ लहू से लाल होगा
न्यौछावर न जो माँ पर ऐसे जीवन की क्या कीमत है

हरियाली इसकी जीवन की सारी तपिश मिटाती है
सोते बेटो को चादर रेत की ओढ़ा लूह से बचाती है
इस माँ ने सबका भार उठा अपने बेटो को पाला है
इसकी शीतल हरियाली नित्य जीवन नए रचाती है

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