मगरमच्छ

लोग मरते है जब वो आखे बंद करके सोता है
सवाल गर कोई पूछे तो आंसू बहाकर रोता है
बड़ा फनकार है अदाकारी भी खूब दिखाता है
दामन के खूनी धब्बे उन्ही आंसूओ से धोता है

लगता है कि इन फूलों से मन भर गया उसका
जश्न के लिए लाशो से अपनी माला पिरोता है

बड़ी ईमानदारी दिखती है आपकी मक्कारी में
ये फन तो सिर्फ इनकी ही फकीरी में होता है

एक लफ्ज भी न बोलना उनकी खिलाफत में
उनके हाथों में खंजर तो पिंजरे में एक तोता है

हिसाब जब भी मांगो उससे उसके कामो का
बहीखाते के पन्ने अपने आंसूओ से भिगोता है

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