चुपके चुपके
चपके चुपके ही सही नज़र तो मिलाओ
धीरे धीरे ही सही तुम मेरे करीब तो आओ
जुदाई के भवर में मुश्किल है उस पार उतरना
पर हल्के हल्के ही सही पतवार तो चलाओ
कई कहानियां बनाई और कई किस्से सुनाए
इश्क़ की फिराकी ने क्या क्या चर्चे चलाये
कभी सोनी के महिवाल को चिनाब में डुबाया
तो कभी जंजीरों में बंधे कैस पर पत्थर बरसाए
दुनिया से निभाने में बस इतनी कसर रख दिया
उनकी कजरारी आंखों में पूरा शहर रख दिया
ये घड़ी दो घड़ी की बाते भी मत करना मुझसे
हमने तो उनकी याद में आठो पहर रख दिया
कुछ मोड़ ही नही जिंदगी का सारा सफर दे दिया
एक बूंद के प्यासे थे तुम हमने पूरी लहर दे दिया
आज पूछते हो कि क्या किया हमने आपके लिए
तुम्हे घर की तलाश थी और मैने पूरा शहर दे दिया
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