गुलिस्तां
हरियाली से भरा ये गुलिस्ताँ सारा लुटाए बैठे हो
झूठो को सच और सच्चो को झूठा बताये बैठे हो
सालों की शिद्दत से एक मकान बनाया था हमने
अब उसे खंडहर बना एक एक ईंट लुटाए बैठे हो
ख्वाब देखे थे हमने चमन में जगमगाते उजालो के
तुम तो घरों के ये जलते चिराग भी बुझाए बैठे हो
संगमरमर के ताजमहल को भी वीराना बना दिया
और मोहब्बत करने वालो को दंगाई बनाये बैठे हो
मेहनकश ईमानदार सब तुम्हारे शक में दायरे में है
चोर उचक्कों भगोड़ों पे सारी खुदाई लुटाए बैठे हो
वादा था जिन्दगियाँ बिखेरने का यहाँ की मिट्टी में
लेकिन तुम चिताओ और कब्रो को सजाए बैठे हो
बनाकर लाये थे तुम्हे हम मशीहा इन खुशियों का
तुम तो खुशहाली की सारी उम्मीदे सुलाये बैठे हो
हर रोज यही दुआ करते है कि मुल्क सलामत रहे
और तुम काफ़ीरो संग आंख चार कराए बैठे हो
खूब किस्से उड़े तेरी फकीरी की अमीरों के शहर में
इस फकीरी से जाने कितनों को फकीर बनाये बैठे हो
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