कोरी है मोरी चुनरिया
कौन हाट से कीनू, अब मै जाऊँ कौन बजरिया
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
पीर फकीर दीन और ज्ञानी,
सबकी चुनर है केशर धानी
बिसराय के इस जग को, जोगन की बन जा सवारियां
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
ऐसो बस गया मुर्शिद मन में,
खोई रहू बस उनके जतन में
सुधबुध गवाया मन मंदिर में, मैं झाकू अब न बहरिया
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
सबकी चुनर हो गई फीकी,
अरज है तोसे इतनी श्रीजी
रंग ऐसो लगे अबकी प्रीतम, जो छूटे ना पूरी उमरिया
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
बीते बरस न आये संदेसवा,
पिया बसे जाने कौन देशवा
खोज खबर न आये उनकी, आये ना ही कोई पतरियां
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
अब तो खोलो शाम केवडिया,
जोगी खड़ा है तोरे दुअरिया
प्रेम सुधा मोहे पिला दो, है बस तोसे इतनी अरजियां
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
हर माला पे तोरे सुमिरन
है तोरा ये तन मन जीवन
नैनन में बस तोहे बसा के, ढूंढे तोहके मोरी नज़रिया
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
कितना भटकूँ अब मै सवरियां
कम पड़ जाए ये दिन दुपहरिया
लाज रखो इस प्यासे की, फिरसे बजा दो अपनी बाँसुरिया
कुछ रंग मोहपे भी डालो पिया, कोरी है मोरी चुनरिया
Comments
Post a Comment