सितारे भी होंगे

जमीन पर इशारे है तो आसमान में नज़ारे भी होंगे
ये चाँद अकेले नही आता, साथ में सितारे भी होंगे

बस गुस्ताखियों तक नही रहा होगा ये  सिलसला
यकीनन  इन  आँखों  से तूने दो चार मारे भी होंगे

सावन का किरदार रहा है खुल के बरस जाने का
अल्फाज़ो में  इसके पानी ही  नही शरारे भी होंगे

हमने तो इस  बाग में बस फूल लगाए थे इलाही
किसे पता था फूलों के साथ कांटे भी हमारे होंगे

जरूरी  नही  सबको  बुलंदी  पर ही पहुचाया हो
कुछ  चमकते तारे तूने आसमां से उतारे भी होंगे



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