परवाने ही बताएं
एक पल की मोहब्बत पर पूरी जिंदगी हारने में
ये परवाने बताएं क्या मज़ा है खुद को मारने में
कोई पागल तो नहीं जो यूं ही जला दे खुद को
बड़ा सुकून मिलता है महबूब पर जां वारने में
अब तो मुमकिन नहीं रहा मुझे सुधारना साहेब
बहुत सिद्दत लगाई है मैने खुद को बिगाड़ने में
उम्र लगाई गौरैया ने जिस आशियाने के लिए
तुम्हे एक पल नही लगा वो घोंसला उजाड़ने में
मैं जब भी बुलाऊं तुम्हे, बस चली आया करो
बहुत ज्यादा डरता हूं मैं, तन्हा रात गुजारने में
रिंद वर्षो से प्यासा है दो घूंट के लिए इलाही
साकी वक्त जाया ना कर आंचल संभालने में
एक रोज खुशी से उसने गले लगाया था मुझे
उम्रें लग गई उस आगोश का नशा उतारने में
ज्यादा से ज्यादा बस चर्चा होगी हमारे बारे में
और कोई मसला नहीं तुम्हे मेरा नाम पुकारने में
बस यूं ही नहीं तुम इतनी ज्यादा खूबसूरत हो
खुदा ने सारा हुनर लगाया है तुम्हे संवारने में
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