किस्मत आज़माना छोड़ दे
तू गयी छोड़ कर तो क्या अब मुस्कुराना छोड़ दें
हम क्या अब महफ़िलो में आना जाना छोड़ दें।
और भी जिम्मेदारियां है मेरी तुझसे इश्क़ के सिवा
अब ये मुमकिन तो नही, तेरे गम में जमाना छोड़ दें।
तुझसे रिश्ता टूटने का सबब ये हरगिज़ नही इलाही
की हम अब औरो से भी रिश्ते बनाना छोड़ दे।
माना कि अपनी नाफरमानी तुझको ग़वारा नही है
तो क्या अब हम अपनी आवाज उठाना छोड़ दें।
जब तक गैरत सलामत है दावेदारी मिलती रहेगी
हम वो नही जो डर से किस्मत आज़माना छोड़ दे
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