बिना बताए नही जाऊंगा

बिना  कहे  अपनी बात तो  नही जाऊंगा
बादल  हूँ  बिन बरसात  तो नही जाऊंगा

अपनी एक  उम्र  मैंने खर्च की  है तुमपर
अब यहां से खाली हाथ तो  नही जाऊंगा

जो तेरे शहर आया हूँ  तो ये वादा  है मेरा
बिना तुमसे किये मुलाकात तो नही जाऊंगा

इनमें मेहंदी लगाने की आदत  डाल  लो
अब लिए बिना ये  हाथ तो नही जाऊंगा

सुना है मेरी यादों को तूने पन्नो पे उतारा है
अब बिना लिए वो किताब तो नही जाऊंगा 

जो लोग भूलने लगे है शख्शियत हमारी
उन्हें बिना दिलाये अपनी याद तो नही जाऊंगा


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