चंचल मोहक सी है राधा, कान्हा भोले भाले है

दोनो एक दूजे के रंग में डूबे, दोनो ही  मतवाले है
दोनो महारास की रात,दोनो प्रेम जगत  उजाले है

प्रेम का ये पावन पल देखो यमुना तट पे  छाया है
एक दूजे में सुध खोये दोनो एक दूजे के हवाले है

बड़ा मनमोहक दृश्य दिखा, शाम ढले वृन्दावन में
पैर थिरकाती है  राधा और कान्हा बंसी बजाते है

प्रेम वश में कान्हा राधा, आज  ये रूप  उतारे है
श्याम बनी है राधिका,कान्हा को राधा में ढाले है

समान पूरक दोनो प्रेम के,भाव बड़े ही निराले है
चंचल मोहक सी है  राधा, कान्हा  भोले भाले है

एक दूजे का हाल समान दोनो  इतने दिलवाले है
कृष्ण बिरह में राधा, राधा बिरह में  मुरलीवाले है

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