पानी की डूबा कर देखा
एक आग को थोड़ा सा जला के देखा है
मैंने पानी को दरिया में डूबा के देखा है
जिस दुनिया ने मुझको बड़ा सताया था
मैंने उस दुनिया को भी सता के देखा है
बहुत सुकून मिलता है अपनी रूह को
हमने पयासो को पानी पिला के देखा है
ये जो रिश्ते है सिर्फ खुशियों के साथी है
हमने इनको ग़म में आजमा के देखा है
ये जब लगती है रास्ता आसां हो जाता है
इन ठोकरों का तजुर्बा मैंने खाके देखा है
अपना पेट तो दुआओ से भर जाता है
हमने भूखो को भरपेट खिला के देखा है
सोने का महल बनाके यूँ नुमाइश मत कर
मैंने मिट्टी को सबका वजूद मिटाते देखा है
तेरे लिखे ग़ज़लों की क्या बिसात है बावरा
जहाँ ने ग़ालिब को भी शेर सुनाते देखा है
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