वो हमसे छुपाने लगे है

कहानी के कुछ हिस्से हमसे छुपाने  लगे है
वो आज  कल कसमें  ज्यादा  खाने लगे है

वो जो आँचल ओढ़ कर मैं सोया करता था
सुना है उसकी छांव में मुसाफिर आने लगे है

दिल के  दर्द एक कागज पर निकाल दिया
सबने सोचा हम सुखनवारो में आने लगे है।

उसकी बेवफाई में मेरा वो मुकाम तो आया
जिसे पाने  में  आशिको  को जमाने लगे है

साहेब की  नज़रो में अब तक जो झूठा था
सिक्के की खनक पे उसे सच्चा बताने लगे हैं

सुखनवारी में हमने वो  गज़ले  बहा दी थी
जिसे सुना कर लोग जमाने पे छाने लगे है



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