वो बस मुस्कुराती है

अपनी आदत अपने फिदरत से वो कहां बाज आती है
जितना मैं दर्द  में  रहता हूँ, वो  उतना ही मुस्कुराती है

उसका प्यार भी मेरी इस  सिगरेट  के कश जैसा ही है
दिल को सुकूँ तो देती है पर कलेजा  बहोत जलाती है

मैं  जब  जब  भी उसके मोहल्ले से  होकर गुज़रता हूँ
वो बस  छत पर आता  है और देख  कर मुस्कुराती है

जो मिलने जाऊं तो एक झलक भी नही दिखलाती है
जो नाराज  हों  जाऊँ तो व्हाटसअप करके बुलाती है

खुदा ही जाने कैसी उसकी मर्जी कैसा उसका प्यार है
दिल का हाल मुझसे ना ही  बताती है ना ही छुपाती है

उसको देखने को फरिश्ते सब तारे बनके टिमटिमाते है
ये चाँद भी तभी निकलता है जब  वो छत पर आती है

उसके  लिए  मैंने  चौराहें  और सड़कें  एक कर डाली
और वो  बस झलक  दिखाती  है और गुज़र  जाती है

मेरे दिल  का सारा हाल वो मुझसे बयां करवा लेती है
पर  खुद  कहने  की बारी पर वो खामोश हो जाती है

वो मुझे सताती तो है पर मेरे प्यार पे बड़ा इठलाती है
मेरी आशिकी के किस्से अपनी सखियों को सुनाती है

जब भी मेरा नाम आये, उसकी  आंखें चमक जाती है
कुछ  इसी  तरह  से वो अपने दिल का हाल सुनाती है

क्या कहूँ उसको मैं, उससे  अब से क्या  गिला करना
गर कुछ कहूँ भी तो बस आंखे नीचे किये शरमाती  है

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