आ आंखों में थकान आती है
न आंखों में नींद आती है न ही कोई थकान आती है
ऐसी बीमारियां अक्सर इसी उम्र के दौरान आती है
अजीब फजीहत में डाला रखा है मुझे इस मोहब्बत ने
न इसका गम जाता है न ही इसमें मेरी जान जाती है
दिल के राज,दिल मे राज रखना नामुमकिन है साहब
वो बस नज़रें मिलाती है और सब कुछ जान जाती है
उसकी इसी अदा ने तो मुझको पागल कर के रखा है
पहले तो वो मुझसे रूठती है फिर खुद मान जाती है
सौ सौ चाँद आसमान में एक साथ निकल आते है
जो उनके चेहरे पर हल्की सी भी मुस्कान आती है
घरों के बटवारे में कोठरी बरामदे तो भाई ले लेते है
माँ बाप के हिस्से में तो सिर्फ दालान आती है
सौदागरी के ये नए नए कायदे तुम हमे ना बताओ
बाजार के इसी हिस्से में हमारी भी दुकान आती है
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