कब से ख्वाब तुम्हारे


जुबा पर कोई  शिकायत  ना होगी, फिर से ऐसी इनायत ना होगी
खुदा भी रहेगा ये जहाँ भी होगा, पर फिर ऐसी कयामत ना होगी




कब से ख्वाब तुम्हारे आंखों में सजाएं बैठा हूँ
कब से गैरो को  भी  मैं अपना बनाये बैठा हूँ
मेरी हर बात में तुम हो, चांदनी इस रात में तुम हूँ
ढूंढू कहां तेरी तस्वीरें,आती जाती सांस में तुम हो




कहना है तुमसे प्यार की बातें, वर्षो तलक किये इस इंतेज़ार की बाते
ना कोई परदा ना ही तकल्लुफ, बस  सारी की सारी इकरार की बातें
ना कोई शिकवा  ना ही गिला हो, हो  तो बस हो मेरे  इजहार की बाते
सुन जो लो तो चैन सा आये , प्यार भरे इस दिल के गलहार की बाते
कब से मैं तेरा  चेहरा  दिल मे छुपाये बैठा हूँ
कब से ख्वाब तुम्हारे आंखों में सजाएं बैठा हूँ





देखो तो कलियाँ बनती है कैसे तुम आये तो ये खिलती है कैसे
ना जानू मैं प्यार की रश्में, ना जानू मोहब्बत ये मिलती है कैसे
पहला तजुर्बा ये पहली कहानी, बस तुमको है तुमको सुनानी
बैठो जो मेरे आगोश में आकर ,सौ बातें है मुझे तुमसे बतानी
कब से नाम तेरा, इस दिल पे लिखाये बैठा हूँ
कब से ख्वाब तुम्हारे आंखों में सजाएं बैठा हूँ



कब से किस्सा दिल का तुझसे सुनाए बैठा हूँ
कब से तुझे अपना, मैं अपना  बनाये बैठा हूँ
कब से तुम हो मेरी ये सबको मैं बताये बैठा हूँ
कब से ख्वाब तुम्हारे आंखों में सजाएं बैठा हूँ
कब से गैरो को  भी  मैं अपना बनाये बैठा हूँ






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