सच्चाई नही दिखती
जो सबके सामने है, इन आंखों को वो भी सच्चाई नही दिखती
जिसके लिए दिल मे नफरत हो तो उसकी अच्छाई नही दिखती
मैं बहुत परेसान हूँ चुका हूँ अपनी मोहब्बत के इस अंधेपन से
वो करती तो है पर मुझको उसकी कोई बेवफाई नही दिखती
ये सारी की सारी दुनिया कहती है धोखा उसकी फिदरत में है
पर मुझे इश्क़ है उससे मुझे तो उसमें कोई बुराई नही दिखती
जाने क्यो मेरी किस्मत मेरे ही साथ हर दफा ये खेल खेलती है
गर्मी में कोई हवा नही चलती तो सर्दी में रजाई नही दिखती
जब अपने नाराज़ हो जाए तो अपनी भी परछाई नही दिखती
बीमार इतने होते है कि अलमारी में रखी दवाई नही दिखती
घर के छोटे, बड़ो से अक्सर बीते दिनों का हिसाब मांगते है
ये तो रिश्तों का हक है मुझे तो इसमें कोई लडाई नही दिखती
जब इश्क़ की शुरुआत होती है तो जमाने से बड़ा डर लगता है
इश्क़ जो जोर से हो जाये तो खुदा की भी लिखाई नही दिखती
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