मौसम सुहाना चाहिए
जब नयी धुन है तो कुछ नया तराना चाहिए
मुझको इश्क़ का सारा मौसम सुहाना चाहिए
तुम जब भी आती हो तो ऐसा क्यों लगता है
तुम्हारे साथ अब बारिस भी आना चाहिए
मै जब भी खिड़की खोलू तुम्हारी खुशबू आये
ऐसा हवा का झोंका मेरे घर भी आना चाहिये
तुम्हारे शहर के बढ़ते सूनेपन की गूंज सुनी है
लगता है हमे भी यहां एक घर बनाना चाहिए
सिर्फ एक चाँद ही पागल क्यो है तुम्हारे लिये
अब फरिश्तों को भी जमीं पर आना चाहिए
सिर्फ मैं ही तुमको सुना रहा हूँ अपने किस्से
अपना हाले दिल तुम्हे भी तो सुनाना चाहिए
इज़हारे इश्क़ सुनकर यूँ खामोश नही रहते
पलकें नीची करके तुम्हे मुस्कुराना चाहिए
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