हुस्न ए शार हो जाएगा


दस्ता ए हूर  भी तेरे नूर से  बेज़ार हो जाएगा
खुदा का घर नया एक हुस्न ए शार हो जाएगा

तुम्हे जरा सा मैंने जो अपनी ग़ज़ल में लिखा
तो  पढ़ने  वाला भी तेरा तलबगार हो जाएगा

एक एक हर्फ़ से तुझे कुछ ऐसा सजाया मैंने
फरिश्ता भी तुझे पढ़ने को अय्यार हो जाएगा

कहा  ढूंढोगे  उनके  हुस्न का सानी इलाही
मैंने जैसा लिख दिया,वही मेयार हो जाएगा

जो ये आंखें उठी तो संभल  जाना बावरें
उनसे  नज़रें मिला कर तू बेकार हो जाएगा

हर तरफ बस दिखेगी उन्ही की परछाई
ताब ए उन्स से तू इतना बीमार हो जाएगा

इब्तेता ए इश्क़  की शर्त ही है अक़ीदत
दिलकसी का मामला जार ज़ार हो जाएगा


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