कितना ज़ार ज़ार करना

यू निगाहों से निगाहे मिला कर मुझे बेकरार करना
उन्हें खूब आता है गरीबों पर आंखों से वार करना

जो  इस निगाह  ए झेलम  में उतरे तो डूबे इलाही
बड़ी मुश्किल है साहेब  फिर ये दरिया पार करना

तुम तो  बस तारीखों पर तारीखें  देती जा रही हो
तुम्हे क्या पता  क्या  है सांसो  का इंतज़ार करना

एक हम है जो सौ सौ  जतन करता है मिलने का
एक तुम हो जिसने सीखा  है बस इनकार करना

हम थक  गए है  जाम  पीते पीते इन  मैखानो के
शाकी अबकी आंखों से पिलाने का करार करना

बस एक घूँट जाम  और कबाहत जमाने भर की
गर तेरी शर्त यही है तो  मंजूर है ऐसे प्यार करना

आधे चाँद के बाद अब तेरी टूटे तारे की ख्वाहिश
एक बिखरे हुए को और कितना ज़ार ज़ार करना


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