उसका चेहरा

उसका चेहरा जैसे खुदा का बरसता कोई नूर है,
आंखों के किस्से उसके शहर में बहुत मशहूर है।

मेरे खुदा बस एक बार उनके दीदार हमे करा दे,
फिर गर हम मर भी गए तो भी हमे वो मंजूर है।

इस सर्दी में मुझसे मिलने का मन उसका भी है,
पर मैं  जानता हूँ  वो जमाने से बहुत मजबूर है।

दिलों में आग और इन लबों पे प्यास भरपूर है
बस थोड़ा मैं उससे, थोड़ी सी वो मुझसे दूर है।

नज़र से नज़र के खेल में दिल का क्या कसूर है
तड़पन उलझन शायद यही दुनिया का दस्तूर है

मैं दिल की हर धड़कन उसको सुननी ही होगी,
तो क्या हुआ उसके मांग में किसी का सिंदूर है।






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