एक मुद्दत के बाद

एक मुद्दत के बाद  लगा की  अपने घर मे आये है,
तुम्हारा  हाल जानने  हम  तुम्हारे शहर में आये है।

अखबारों से कह दो छाप दे मेरा नाम सुर्खियों में,
बहुत  दिनों  के बाद हम  इनकी खबर में आये है।

जब  वादा था  दोनो का  मिल कर हँसने रोने का,
फिर ये कांटे क्यो मेरे अकेले के सफर में आये है।

अभी ये  जितना  खिल  रहे  है खिलने दो इनको
ये नए मौसम के फूल है  नई नई लहर में आये है।

ये  जिनको गुरूर है अपनी फनकारी की अदा पे
उनसे कह दो यहाँ हम भी अपने हुनर से आये है।

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