रूह को आज़ाद कीजे

शबे आरजू जलाकर  सब  राख कीजे,
अब रूह को जिस्म से  आज़ाद कीजे।

जनाजे में दो कदम आप  भी चलकर,
मेरे सफर ए मय्यत को  आबाद कीजे।

एक मुट्ठी मिट्टी डाल कर मेरी कब्र पर,
मेरी आखिरी रश्म की शुरुआत कीजे।

फखत दुश्मनी में आपसे हो न पाएगा
अब दोस्ती करके हमको बर्बाद कीजे।

बज्में रिन्द  वीरान पड़ी है  तेरे जाने से,
साकी, बावरें का कुछ तो खयाल कीजे।

मुअय्यन है मौत तेरी आगोश में आना,
तो बची जिंदगी का क्या हिसाब कीजे।

कितने टुकड़ो में टूटा है ये  दिल बावरें,
ना जवाब मांगिये ना ही  सवाल कीजे।


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