तखरीरें

तखरीरें सारी रूठ गई, बस किस्सों का दौर जारी है
बातों के संग रूठ हुए है, अब खामोशी संग यारी है

सरहदे बनी हई है सारे शहर में इंसानियत के बीच
अदब के साथ ये सारी सरहदें लांघने की तैयारी है

तुम्हारे शहर की हवा सबको बहुत सुहानी लगती है
गुलाबी दिख रहे ये सारे के सारे मौसम बाजारी है

बरसात ने बुझा दिए, इस शहर सारे दिलो की आग 
मेरा घर सूखा रहा ये बारिस की अपनी होशियारी है

जिस गली से गुजरा जनाजा मेरा जश्नों का दौर था
इज़्ज़त की शोहरत की ये हमारी अपनी खरीदारी है

बड़े गहरे दिखते है कलेजे पर लगे ये जख्मो के दाग
कसूर तेरा नही जख्मो को गहरा होने की बीमारी है

कोई दरिया क्या समेटेगा मौजो में शख्शियत को
एक सुराख वाली कश्ती पर हमारी अब सवारी है

दुश्मन की शमशीर छू भी न पाई हमें मैदाने जंग में
जख्मी है आज जो ये अपनो के खंजर की गद्दारी है

तेरे सपनो के बाजार में फरेब बड़ा सस्ता मिलता है
झूठ तेरी नियत में है जफ़ा पर भी तेरी दावेदारी है

महारत हासिल है तुझे जख्मो पर नमक लगाने में
जख्मी के इलाज का यह तरीका बड़ा चमत्कारी है

नफरत गहरी छुपी हुई है तेरी मासूमियत के पीछे
तेरा हँसना छलावा तो तेरा रोना एक अदाकारी है

तेरे शहर का रिवाज बड़ा उल्टा जान पड़ता है जानी
यहाँ सब मंदिरों में मौलवी, तो मस्जिदों में पुजारी है

कब छा जाना है शहर पर, काले बादलों से पूछ लो
छत थोड़ी मजबूत कर लूं, अबकी बरसात करारी है

जब से आप रूठे मौसम नाराज से लग रहे है मुझसे
लगता है मौसमो पर आपका मिजाज बड़ा भारी है

मीठे मीठे से लग रहे है ये तेरे सारे कड़वे अल्फाज
लहजे का तरीका बता रहा है तू गुरुर का जरदारी है

अक्सर चिरागों की रोशनी शामियाने भी जलाती है
उजाले के साथ  चिरागों में जलाने की भी मेयारी है

बहुत गहरे है समंदर के सीने में दफन तेरे सारे राज
लगता है इंसानों के साथ समंदर पर भी सूबेदारी है

तेरी महफ़िल की खामोशी जाहिर करती है रिवायत
समझ मे आया  यहाँ सबके हँसने की भी दुश्वारी है








 


Comments

Popular Posts