कैसा हिंदुस्तान बनाते हो

चहुदिश हाहाकार मचा है तुम हमवतनो को लड़ाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो

नफरत फैला लोगो मे आये तुम बनकर लाशो के व्यापारी
तुम्हारे  साये में फूल रहे सारे गुंडे लुच्चे और व्यभिचारी
तुमने बेंचा पुरुखों की जागीरें बेचा तूने लोगो की तकदीरें
इतिहास बिगड़ा भाटो से,तू कर बैठा गाथाओं पे दावेदारी
जला डाला मकानों को तुम चिताओ की सेज सजाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो


तुमने सवाल उठाया भगत शेखर उधम के बलिदानों पर
कलंक लगाया तुमने कुरुक्षेत्र हल्दीघाटी के मैदानों पर
कलंकित कर डाला टुकड़ा तूने भारत माँ के आंचल का
खंजर चलाया तूने पटेल लोहिया गांधी के अरमानों पर
फूलो से इस गुलशन पर इंसान के खूनो के धार बहाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो

राम की विरासत को लूटा,लूटा तूने कृष्ण के सिद्धांतो को
मिटा दिया महापुरुषों की शौर्यता वीरता के वृत्तान्तों को
क्षीण क्षीण कर डाला खूबसूरती सोने की चिड़िया का
धर्मो  वर्गों में बाँट दिया तूमने अभिन्न अभाज्य प्रान्तों को
मधुर राग सी संस्कृति मिटा,बर्बादी का इतिहास सुनाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो


जलियाँ वाला बाग सिसक रहा है तुम्हारी करतूतों पर
सिसक रहा है शहीदों का स्मारक बैठे सूखे ताबूतों पर
हिमालय भी सिसकिया भरता,बिलखती गंगोत्री की धारा
दक्खन का रामेश्वर सिसकता दाग लगा पंचमहाभूतों पर
स्वर्णिम शब्दो की गाथा तू अपने काले कर्मो से मिटाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो


क्यो रक्तरंजित कर डाला तुमने भारत माता का सीना
क्यो इंसानों में क्लेश फैलाया मुश्किल कर डाला जीना
आखिर क्यों फैलाया तुमने सबमे अपने ये बीज जहर का
क्यो दुल्हनो के सुहाग उजाड़े क्यों माँ से लालो को छीना
भंग करके वतन की खुशियां तुम खुद उत्सव मनाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो


ना राम की धनुष उठेगी, न घूमेगा मोहन का चक्र सुदर्शन
न चाणक्य नीति जागेगी,न जागेगा चंद्रगुप्त का आकर्षण
सभ्यता को रौंदा तुमने पैरों से,बस अपना स्वार्थ पुराया है
राम को रहीम न भाते है, लाया तहजीबो में ये परिवर्तन
धर्मो से सबमे खाई बना,जाने तुम कितने स्वांग रचाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो


जहर फैला दिया हवाओं में, उन्मादी कर डाला हर मंजर
बेघर कर डाला बुजुर्गों को, घोपा सारे मित्रो को खंजर
आशियाने सबउजाड़ डाले, जला डाला गली और बस्ती
गाँवो को श्मशान बनाया तुमने ,ये खेत बनाये सारे बंजर
नरपिचाश बन बैठे तुम अब मासूमो के रक्त से नहाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो

चहुदिश हाहाकार मचा है तुम हमवतनो को लड़ाते हो
भाई भाई को मार रहा ये तुम कैसा हिंदुस्तान बनाते हो

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