हूर
आँखों की चमक से आसमां का सितारा भी मचल गया
उसके साये से शरमाकर कमबख्त चाँद भी पिघल गया।
नज़ारो से उसके खुदा भी हैरान है अपनी कारीगरी पर
देख कर उसके जलवे फरिश्तों का भी दिल उछल गया।
उसके गुलाबी पलके उठाने से आसमान में सवेरा हुआ
जो हया से उसने पलकें झुकाई तो सूरज भी ढल गया।
मुस्कान समेटे चेहरे पर सूरज की रोशनी सी बिखर गयी
परछाई से उसकी जन्नत की हूरों का भी गुमां जल गया।
बालो में उसके लग गजरे के ये फूल भी सारे इतराने लगे
माथे की बिंदिया जो चमकी,अंधेरा उजाले में बदल गया।
ऐसा मुसलसल असर हुआ उसके हुस्न के उफ्ताद का
कई शेखों की पारशायी का तख्त भी बर्फ सा गल गया।
बेमोल बिक से गये सारे तख्तो ताज उसकी अदाओ पर
कितने राजाओ के किले ,कितने सुल्तानों का महल गया।
सूर्ख अरिज पर हलकी लहर समेटे है जाने कितने तूफ़ां
जिसकी भी नज़र पड़ी उस खुर्द पर वो ही फिसल गया।
जन्नत की हूरें,सारे फरिश्ते शरमाते है हुस्न के उजाले पर
इस हुस्न का कशीदा तो बुतकार खुदा को भी खल गया।
बारिस की बूंदे कमर से उसकी मोतियों की चमक रही
नज़ारा जिसने भी देखा मुँह से उसके हाय निकल गया।
नैनो की बाजीगरी उथल पुथल कर देती है सारे मंजर
जो संभला हुआ गिर गया तो गिरता हुआ संभल गया।
कब तक सोख नज़र ऐसे ही खंजर मारेगी हर दिल पर
आंखों में तेरे ऐसे खोये की लम्हा हर मंजर निगल गया।
पायल की झनकार कदमो के आहट साथ नाचती गयी
उसकी एक सांसो की गर्माहट से जन्नत भी उबल गया।
जन्नत की हूर है या खुदा की बनाई एक कारीगरी नायाब
आने पर लम्हा जी उठा जाने से उसके खुशियों का पल गया।
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