विकराल क्रोध के प्रचंड का
विकराल क्रोध के प्रचंड का
सुन आवाज विश्व के खंड खंड का।
हिन्द की पुकार है अब यही
खात्मा हो ,पापियों के झुंड का
पापा के घड़े सब भर गए
पापियो के वार अब बढ़ गए
देश के निशान पे ये चढ़ गए।
मौत ही प्रणाम है इनके दंड का
सुन आवाज विश्व के खंड खंड का।
जीत मंत्र का बस एक गान कर।
विश्ववीर के नाम का तू मान कर।
तिरंगे के चक्र का अब तू आन कर।
दिखा जोर इन्हें , हिन्द के प्रखंड का
सुन आवाज विश्व के खंड खंड का।
मिटा हस्ती, इनको तू अपंग बना
मस्तक पर लाल मौत का तू रंग बना
समेट गगन धरा को अपना प्रिय तिरंग बना
समूल नाश कर ,नापाक के घमण्ड का
सुन आवाज विश्व के खंड खंड का।
बढ़ , गिरा , गढ़ दुश्मन के तू तोड़ दे।
जुर्रत दिखा , रूख हवा का तू मोड़ दे।
जननी की तरफ उठी जो आंखे, फोड़ दे।
आन रख जो मिट्टी के लिए खाई सौगन्ध का
सुन आवाज विश्व के खंड खंड का।
चढ़ सीमाओं की छाती, कब्र उनकी खोद दे।
हैसियत , ताकत का उनको असली बोध दे।
कर प्रहार प्रखर, मौत की तू उनको गोद दे।
धुन सुना पापियों की मौत वाले रस छंद का
विकराल क्रोध के प्रचंड का
सुन आवाज विश्व के खंड खंड का।
हिन्द की पुकार है अब यही
खात्मा हो ,पापियों के झुंड का
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