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Showing posts from July, 2025

राम बन गए हो तुम

नज़्म — "तुम्हारे होने की ख्वाहिश"

एक ख़ुशबू,

सैय्यारा मिला है

धड़कने बेहिसाब में है

क्या करे कोई

तुम कोई जुबान दो ना

ग़ज़ल लिख डाले

गजल का पन्ना बना रखा है