कोई दीवाना आज डाकिया बनकर आया है

अरसे  बाद तेरे आने की एक खबर लाया है
कोई दीवाना आज डाकिया बनकर आया है

चाँद भी तेरे  दीदार की तलब में व्याकुल है
देख ये पागल आज दिन में निकल आया है

आसमां अपना  आँगन इस शायर को दे दे
ये अपने माशूक़ पर लिखने ग़ज़ल आया है

तेरी जुल्फों की छांव में यूं ही सोने दे इलाही
बरसो धूप में जलने के बाद ये सजर आया है

तेरी आगोश में जो आये तो ये मालूम हुआ
ये बेघर  बंजारा  आज अपने घर आया है

जो तुझे न देखू चाँद तो शिकवा ना करना
तेरा हमशक्ल आज छत पर उतर आया है

उससे नज़रे मिली तो जमाने को मालूम हुआ
सेहरा का राही आज बरसात के शहर आया है



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