इश्क़ का इज़हार भी तो चाहिये


शब ए वश्ल में  इश्क़ का इज़हार भी तो चाहिये
जैसा सुना है,वैसा आंखों को दीदार भी तो चाहिये

उनके होंठो पे तिल  का होना जरूरी हैं इलाही
दौलत ए हुस्न  का एक पहरेदार भी तो चाहिए

जरा नक़ाब तो हटाइये रुख ए आरूज़ से अपने
इस दुकान ए दीद पर खरीद दार भी तो चाहिए

सिर्फ खूबसूरत होना काफी नही तेरी बराबरी को
अदाओ में  सादगी  वाला मेयार  भी तो चाहिये

दिलो के खेल में सिर्फ शरीफ रहना काफी नही
तरबियत  में  एक शातिर  अय्यार भी  तो चाहिए



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