नूर की बारिश

तुम्हारे नूर में बरकतों  का एक आफताब है
नेमतों  की  बारिश  होती  यहाँ  बेहिसाब है

तुम बस बहाने से मेरा हाल पूछने आ जाना
मेरी  बीमारी  का  बस  यही  एक इलाज  है

पायल,बिंदिया,लाली,झुमका सब एक तरफ
सबसे पहले तो तुम्हारी ये आंखे लाजवाब है

ये खुले बाल,हँसता चेहरा, खनकती आवाज
लगा मेरी  अँजुरी में जमाने भर का ख्वाब है

उनके लहज़े में  झलकता  है उनका तजुर्बा
कोई हैरत नही, वो क्यों  इतना कामयाब है

जन्नत के हूरो की क्या करू तुझसे बराबरी
तुझसे वो तब भी नाराज़ थे,आज भी नाशाद है



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