नज़रो को हटाये की दिल को बचाये

बहते है आंशू,और तरसती है निगाहे
हमारा ये हाल कोई उनको भी बताये

दिखाई दिए जो वो तो करे क्या कोई
नज़रो को हटाये  की दिल को बचाये

झुकी नज़रो  ने मचा रखी  है क़यामत
क्या ही होगा जो वो पलको को उठाये

शुकराना है उनका जो वो महफ़िल में है
इनायत हो जाये जो वो घूंघट को उठाये

एक  समुंदर भर  गिला रखा है सीने में
अब कितना बताये और कितना छुपाये

जन्नत से लौट के आना ग़वारा है इलाही
बस आकर हमको जनाज़े से वो उठाये



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