खुदा बनाया है क्या
सजदे में तुम्हारे अपना सिर झुकाया है क्या
कभी मेरे जैसा प्यार उसने जताया है क्या
माना कि प्यार के दावे बहुत बड़े बड़े किये है
पर मेरी तरह उसने तुझे खुदा बनाया है क्या
तुझे बाहों में भरने की इजाज़त तो मांगी उसने
पर तेरे नखरों को कभी सर पर उठाया है क्या
फूलों की राह पर कदम मिलाकर कर तो चला
तेरी खातिर अंगारो पे खुद को जलाया है क्या
आंखों में तेरे उसकी तस्वीर तो दिख जाती है
पर उसने अपनी दुआओं में तुझे बसाया है क्या
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