कभी कभी कभी मौका मिले तो मोदी जी गिद्ध अर्णब की सच्चाई भी देख लिया करिए, और देखने से ज्यादा समझ भी लिया करिए।
"अरुण जेटली की टेंशन न लो, रजत के दिन पूरे हो गए है , जेटली अब न के बराबर है , और वो डेथ बेड पर है" जो भाजपाई अटल जी की अस्थियों को गिरवी रखकर वोट मांग सकते है , सिर्फ उन्हीं भाजपाइयों से ऐसी उम्मीद है कि वो अपने एक बड़े नेता के बेटे में अर्णब से ऐसा सुनने के बाद भी अर्णब का समर्थन करें।
अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए गिद्ध अर्णब गोस्वामी ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन को भी नहीं बख्शा। जेटली के निधन को रिपब्लिक भारत हिंदी में एक बड़ी जीत के रूप में 'जश्न' मनाया गया। जेटली की मौत को अपनी टीआरपी के लिए एक फंक्शन के तौर पर सजा कर दिखाने वाला गिद्ध अर्णब गोस्वामी पत्रकारिता के नाम पर इतना बड़ा थूका हुआ व्यक्तित्व निकलेगा इसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल हो गया था।
मुंबई पुलिस के हवाले से प्रशांत भूषण और टाइम्स नाउ ने सरकार के पालतू कुत्ते गोस्वामी और बार्क के सीईओ पार्थो दास गुप्ता के बीच एक साल से भी ऊपर के लगातार हो रहे व्हाट्सअप चैट्स का खुलासा किया है । और इन चैट्स को पढ़ने के बाद इस बात का खुलासा साफ साफ हो जाता है कि पत्रकारिता के नाम पर मांस नोचने वाले गिद्ध का काम करने वाला अर्णब गोस्वामी का लिंक प्रधानमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री गृह मंत्री और पीएमओ में बहुत तगड़ा था। और बड़ी-बड़ी बातों की खबर इस गीत को इन्हीं लिंक के माध्यम से बहुत पहले पता लग जाता था। जैसे धारा 370 के हटने की सूचना इस गिद्ध के पास पहले से होना, बालाकोट एयर स्ट्राइक की सूचना ,इस गीत के पास पहले से होना इत्यादि।
खैर इस गिद्ध के इन चैट्स के शुक्रवार को सामने आने के बाद से ही लगातार अर्नब गोस्वामी ट्विटर पर ट्रेंड हो रहा है। गोस्वामी पर चैट्स को लेकर निशाना साध रहा है। अर्नब, अर्नबगेट आदि जैसे हैशटैग्स पर हजारों ट्वीट्स किए जा चुके हैं। लेकिन शर्म की बात ये है की बीजेपी के लोग खामोशी से अर्णब के सपोर्ट में लगे हुए थे। वैसे ये तो कुछ अर्नब गोस्वामी और पूर्व बार्क सीईओ के बीच की बातचीत के स्क्रीनशॉट्स थे। पूरी कहानी तो मुम्बई पुलिस के चैट के 1000 पन्नो की चार्जशीट से पता चलती है।इन चैट्स को देखने के बाद ये भी पता चलता है कि सरकार में कितनी साजिशें हो रही हैं।अगर कोई मजबूत सरकार वाला देश होता तो उस कानून वाले देश में उस गिद्ध को लंबी समय के लिए जेल होती।
इन कथित चैट्स से यह पता चलता है कि अर्नब को दो साल पहले बालाकोट में किए गए हमले की पहले से ही जानकारी भी थी। अर्नब ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व CEO पार्थ दासगुप्ता के साथ बातचीत में बोला था कि कुछ बड़ा होने वाला है। उसे धारा 370 को हटाये जाने की भी सूचना थी। इतना ही नही सरकार के कई सारे राज उसको पता थे जो राज सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को या बड़े बड़े अधिकारियो को भी नही पता था।
17 मई, 2017 को पार्थो दासगुप्ता और अर्नब गोस्वामी के बीच हुई कथित चैट में केंद्र सरकार के मंत्रियों का भी जिक्र किया गया है। चैट के अनुसार, दासगुप्ता कहते हैं कि सभी तरह के पॉलिटिकल गेम्स की शुरुआत हो गई है, तो इसके जवाब में गोस्वामी कहते हैं, ''सभी मंत्री हमारे साथ हैं।' वहीं, एक न्यूज चैनलों के संबंध में एक जगह दासगुप्ता कहते हैं कि एनबीए को जाम कर दिया गया है और आपको पीएमओ से मेरी मदद करनी होगी। और अर्णब इस बात पर बोलता है कि काम हो जायेगा मैं शुक्रवार को प्रधानमंत्री से मिलने वाला हूँ।
यहां पर एक सवाल लाजमी बनता है कि क्या प्रधानमंत्री अर्नब गोस्वामी जैसे गिद्ध पत्रकारों के इशारे पर चलने वाले और इन पत्रकारों का हुकुम बजाने वाले एक कठपुतली ही रह गए हैं ?क्या प्रधानमंत्री की अपनी कोई रीढ़ की हड्डी नहीं बची है ? क्या प्रधानमंत्री ऐसे गिनती पत्रकारों की इच्छा पूरी करने के ही उद्देश्य से प्रधानमंत्री बने हैं ?
सवाल तो यह भी बनता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्णब गोस्वामी जैसे गिद्धों के किस एहसान में दबे हुए है ? या किस कार्य का बदला चुकाने में भरपूर लगे हुए हैं ? प्रधानमंत्री के किस वादे के भरोसे पर अर्णब गोस्वामी बिना उनसे बात किए किसी को उनकी तरफ से काम कर देने की हामी भर दे रहा है ? क्या प्रधानमंत्री ने अर्णब गोस्वामी को इस तरह की छूट दे रखी है ? या प्रधानमंत्री अर्णब गोस्वामी के कहने पर ही इस तरह के फैसले लेते हैं? या प्रधानमंत्री और गोस्वामी के हुकुम के बिना इस तरह के फैसले नहीं लेते ? यह सब बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आकर देश की जनता के सामने बतानी चाहिए।
अर्णब गोस्वामी से तो किसी भी तरह की तार्किक सफाई की उम्मीद करना ही बेकार है ।लेकिन फिर भी हम भारत के प्रधानमंत्री और सत्तादल भारतीय जनता पार्टी से यह जानना चाहते हैं कि आखिर गिद्ध गोस्वामी के पास हर तरह की खबर पहले क्यों पहुंच जाती थी और कैसे पहुंच जाती थी ?बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की भी खबर गोस्वामी को इसी तरह सर्जिकल स्ट्राइक से पहले ही पता चल गई । यह सरासर भारतीय सेना के जवानों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के बराबर था।
इससे संबंधित चैट से साफ समझ में आता है कि अर्नब गोस्वामी ने पार्थो दास गुप्ता को मैसेज करते हुए लिखता है कि इधर बीच दो-चार दिन में कुछ बड़ा होने वाला है। जब दासगुप्ता ने अर्नब से सवाल किया कि क्या उनका मतलब दाऊद से है, तो रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ ने BARC के पूर्व CEO से कहा कि ‘…नहीं सर, पाकिस्तान। इस बार… यह सामान्य हमले से बड़ा होगा। दासगुप्ता इस पर जवाब देते हैं कि यह अच्छा है।’ ये वॉट्सऐप चैट्स 23 फरवरी, 2019 की हैं।
इस चैट के तीन दिन बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। और अर्णब के टेलीकास्ट को देखकर उस वक़्त हैरानी हुई कि मानो उसने भविष्य देख लार तैयारी पहले ही कर ली हो। इतना ही नही अर्णब के चैंनल ने अभिनंदन की जहाज और पाकिस्तानी जहाज का एक कथित डॉग फाइट भी दिखाया। जिसे फिर अचानक से गायब कर दिया गया। दोनो जहाजो को पूरी तैयारी के साथ कैमरे में शूट किया गया है। अब इस पर सवाल यह उठता है कि क्या वह वीडियो सही थी या गलत । अगर वह वीडियो गलत थी तो अर्नव गोस्वामी पर झूठे तथ्य पेश कर सेना को गुमराह करने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। और अगर वह वीडियो सही थी तो अर्नव गोस्वामी से इस बात की पूछताछ करनी चाहिए कि उसे सही लोकेशन और सही जहाज के बारे में सटीक जानकारी कैसे मिली।
आर्टिकल 370 को हटाए जाने की बात सरकार में सिर्फ कुछ लोगो को ही पता था। इसे केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से रद्द कर दिया था। अर्नब और पार्थ दासगुप्ता की वॉट्सऐप से साफ संकेत मिलता है किअर्नब को इस बारे में पहले से पता था। 2 अगस्त, 2019 को दासगुप्ता गोस्वामी को चैट करते हैं कि ‘क्या आर्टिकल 370 सच में हटाया जा रहा है?’ जवाब में अर्नब कहते हैं कि मैंने ब्रेकिंग में प्लैटिनम मानक सेट किए हैं, यह स्टोरी हमारी है। मतलब 370 के हटाए जाने से पहले ही , इसके पब्लिक होने से पहले ही इस गिद्ध ने इससे संबंधित सारी स्टोरी और सारी शूटिंग पहले ही करके रख ली थी, ताकि ब्रेकिंग न्यूज़ क्रैक करने में देरी ना हो। इतना ही नही 5 अगस्त, 2019 को अर्नब एक चैट में दासगुप्ता से कहते हैं कि "रिपब्लिक नेटवर्क ने साल की सबसे बड़ी स्टोरी ब्रेक की है।’ एक चैट में अर्नब यह तक कहते हैं कि ‘अजित डोभाल तक जानना चाहते थे कि उन्हें खबर कैसे मिली।’
इसके साथ एक और चैट है जो बहुत ज्यादा वायरल हो रही है यह चैट है 25 मार्च 2019 की। इससे पता चलता है कि बतौर BARC चीफ पार्थ दासगुप्ता ने BARC का एक बहुत ही गोपनीय कागजात अर्नब को भेजा और कहा कि उन्होंने नैशनल ब्रॉडकास्ट असोसिएशन (NBA) को जाम कर दिया है। रजत शर्मा NBA के अध्यक्ष हैं दासगुप्ता कहते हैं कि जब फुरसत मिले, तो लेटर पढ़ लीजिएगा। अर्नब जवाब देता हैं कि रजत की एंट्री नहीं होगी। दासगुप्ता उस चैट में कहते हैं कि किसी से कहिए कि रजत, NBA और TRAI हमें परेशान न करें। मतलब रजत शर्मा जैसे चाटुकार भाई को भी अर्णब ने नही छोड़ा।
इसके पीछे कहानी ये थी कि कुछ चैनलों ने TRAI से BARC की कुछ मनमानियों को लेकर शिकायत की थी। 4 अप्रैल, 2019 की एक चैट को पढ़कर साफ लगता है कि दासगुप्ता इसको लेकर बहुत परेशान था। वह अर्नब से कहता है कि क्या वह "AS" से इस बारे में बात कर सकता है और कह सकता है कि BARC के खिलाफ TRAI थोड़ा नरम रहे? इससे आगे बढ़ने पर 4 अप्रैल, 2019 की एक और चैट में दासगुप्ता को अर्नब बताता है कि BARC को सीधे तौर पर AS की नजर में नहीं लाया जा सकता है। अर्नब की इसके आगे की लाइन से स्पष्ट है कि AS का मतलब यहां किसी बड़े राजनेता से है, क्योंकि अर्नब आगे कहते हैं कि राजनेताओं का ऐसे मामलों में हस्तक्षेप का एक तरीका होता है।
यहाँ भी सवाल उठता है कि आखिर ये "AS" है कौन जो इतना ताकतवर है कि TRAI को निर्देश दे। ये ताकत तो सिर्फ सूचना प्रसारण मंत्री या गृह मंत्री या प्रधानमंत्री के पास होती है। और सूचना प्रसारण मंत्री या प्रधानमंत्री के नाम का शार्ट फॉर्म डेफिनेटली "AS" नही है।
अर्नब की सरकार के मंत्रालय और मंत्रियों में बैठ कितनी जाता है इसका खुलासा अर्नब के चैट के अगले भाग से हो जाता है। 7 जुलाई, 2017 के एक चैट में पार्थ दासगुप्ता अर्नब को बताता है कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ एक शिकायत आई है। जवाब में अर्नब कहता है कि ‘फ्री टू एयर डिश के बारे में राठौर ने मुझे बताया और कहा कि यह शिकायत हाशिए पर कर दी गई है।’ यहां इस बात का अंदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है कि राठौर का मतलब उस समय के तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौर से है । और राज्यवर्धन राठौर की करनी भी समझ में आती है जो रिपब्लिक टीवी के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों को "हाशिए" पर भेज देता है।
अर्नब गोस्वामी और BARC के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता की मीडिया में सामने आई कथित वॉट्सऐप चैट के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। इन चैट्स की जानकारी हैरान करने वाली है। इन्हें सही माना जाए तो बालाकोट स्ट्राइक से तीन दिन पहले ही अर्नब को इस हमले की जानकारी थी। विपक्ष इसे लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि सरकार ने देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया है। सरकार पर अर्नब के साथ साठगांठ का पूरा पूरा यकीन सभी लोगों को हो चला है।
प्रधानमंत्री देश के गृह मंत्री भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और रिपब्लिक भारत का गिद्ध अर्णब गोस्वामी को अब कुछ सवालों के जवाब देना ही पड़ेगा। क्योंकि इन सवालों का जवाब दिए बिना उन्हें देश की जनता छोड़ने वाली नहीं है । ये वह सवाल है जो अर्नब और पार्थो की चैट के बाद लोगों के मन में बार-बार उठ रहे हैं जैसे कि अर्नब की वॉट्सऐप चैट में ‘AS’ नाम का शख्स कौन है, जिसका जिक्र बार-बार हो रहा है?यह कैसे हुआ कि अर्नब को कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करने की केंद्र की कवायद की जानकारी विपक्ष से पहले ही हो गई थी?क्या केंद्र सरकार इस पूरे मामले की इन्क्वायरी यानी जांच के लिए कोई बड़ा कदम उठाएगी कि देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां अर्नब तक कैसे पहुंचीं?
प्रधानमंत्री कार्यालय में अर्नब की पहुंच कितनी है और इससे उनके बिजनेस को कितना फायदा पहुंचा है?अर्नब की वॉट्सऐप चैट्स के जरिये संकेत मिले हैं कि सेना से जुड़ी सीक्रेट जानकारियां केंद्र के सोर्स से लीक हुईं, क्या सरकार इस पर कोई संयुक्त संसदीय समिति बनाएगी? आखिर सरकार में कौन है, जो बालाकोट हमले से पहले अहम जानकारियां अर्नब के साथ साझा करके देश के जवानों की जिंदगी को खतरे में डाल रहा था?
क्या ये सच है कि पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री राठौर ने उन आरोपों को दरकिनार कर दिया था, जिनमें कहा गया था कि केंद्र ने सरकारी ब्रॉडकास्ट प्लैटफॉर्म अर्नब को फ्री में ही दे दिया था? प्रसार भारती के चीफ वेम्पती से अर्नब को आखिर किस तरह की मदद मिली थी, जिसका जिक्र पार्थ के साथ अर्नब की वायरल वॉट्सऐप चैट्स में हो रहा है?
यह सवाल है जिसका जवाब देने में भारत सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी प्रधानमंत्री भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं और बड़े-बड़े ताकतवर लोगों के माथे पर पसीना हो जाएगा फिर भी इसका जवाब मिलाना होगा कि नहीं होगा क्योंकि जवाब के नीचे से ही मुंह खुलेगा इन काले नेताओं की काली करतूत देश के साथ सौदेबाजी और गंदी टीआरपी के खेल का एक घिनौना चेहरा देश के सामने आ जाएगा।
Yes clarification needed
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