रूठा यार मनाऊंगा

रब रूठे तो रुठ जाए , मैं तो अनहद राग सुनाऊंगा
लाख जतन कर कर के मैं बस रूठा यार मनाऊंगा

दिल के अंदर है सौ सूरज,ये दुनिया फूंक जलाऊंगा
बुल्ले शाह जैसा दीवानापन,सबको खूब दिखाऊंगा

जग रोये खुद का रोना,मैं तो दिल की बात बताऊंगा 
आग लगा ये दुनिया को नफरत की आग बुझाऊंगा

पागल होकर सब नाचे मैं तो ये जग सारा नचाऊंगा
बहता पानी चढ़ जाए जो ऐसी उल्टी धारा बहाऊंगा

आंखों में है अंगारे दुनिया की सब तपिस हटाऊंगा
जल जाएगे बाग बगीचे तब एक नरगिस उगाऊंगा

समंदर फीका पड़ जाए, दिल मे वो दरिया बहाऊंगा
जोड़ दे रब को हमसे इश्क़ की वो कड़ियाँ बनाऊंगा

आंखों में है जादू टोना,इन आँखों की गीत सुनाऊंगा
लाख नकारे मुझको उस संग जीवन पीत कराऊंगा

रेशम सी जुल्फों तले सौ सौ चंदा तारा मैं बरसाउंगा
खिदमत-ए-यार में इस जमीन पर सारा मैं उतारूंगा

सब गाये जो रंग मल्हार मैं तो दीपक राग लगाऊंगा
आग लगा इस दुनियां को बिरह की पीर जगाउँगा

चंदा तारे सब तोड़ू, टूटे तारे खींच जमीं पर लाऊंगा
झुकी हुए उन पलको पर,सितारे सौ बार सजाऊंगा

सात समुंदर उनसे पहले कर सबको पार मैं आऊंगा
क्या दरिया क्या पर्वत अब सबको मैं चीर हटाऊंगा 

दिल की खामोशी उन तक जाए धुन ऐसी बजाऊंगा
राग गीत रचना छोड़ प्रेम पाती सब तक पहुँचाऊँगा

जो न देखे तो जग ना देखे,जग को नजर उठाऊंगा
जग जो देखे सो मैं न देखू,न देखी सबको लुटाऊंगा

प्रीत है अमृत धार सा पावन,ये धारा सबसे चुराउंगा
इस रस का स्वाद अनोखा,ये हर हर को चखाऊंगा

हँस हँस कर दुनिया देखें, हँसने वालो को रुलाऊंगा
रोये है जो इस दुनिया से,रोने वाले सबको हसाउंगा

प्रीत का मौसम है ये , प्रीत सबके दिल मे जगाउँगा
नफरत सूखा हटा,प्रीत का बारिस सबपे बरसाउंगा

रब से यारी तो रब ही जाने, मैं तो यार की निभाउंगा
मंदिर मस्जिद रब की सुनाए, मैं प्यार की सुनाऊंगा

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