पगड़ी संभाल जट्टा

अब तानाशाह तेरे आँशुओ का हिसाब  चुकाएगा
बहे है ये इतने की गद्दारो के घर सैलाब आएगा।
नफरत के ये पुजारी जो अन्नदाताओं के दुश्मन है
इनके पापों को मिटाने घर घर से इंकलाब आएगा

धरा का सीना चीर कर तूने फसलों को उगाया है
शून्य मोल सी मिट्टी को तूने सोने जैसा बनाया है
कैसे कोई लेगा तुझसे तेरी सारी की सारी मेहनत
तेरे पसीने ने फकीरों को राजा बना कर बैठाया है
तुझे रुलाने वालो की गलियों में आफताब आएगा
अब तानाशाह तेरे आँशुओ का हिसाब  चुकाएगा


ये कमाई है तेरी मेहनत,तूने इस मिट्टी को सींचा है
हल चलाकर तूने बंजर मिट्टी पे हरियाली खींचा है
तेरी मिट्टी सौंधी सौंधी,इसपे सौ इतर भी शर्माते है
इनके महलों से बेहतर खेतो का ये बाग बगीचा है
डर मत हिम्मत से तू संघर्षो की किताब बनाएगा
अब तानाशाह तेरे आँशुओ का हिसाब  चुकाएगा


तेरी फसलों को खाकर तुझको ही भूखा मारा है
खिलखिलाते खेतो की हरियाली में सूखा डाला है
कब तक सहेगा इसको आखिर कब तक रोयेगा 
बेंच तुझको बाजार में, आशियाने से निकाला है
भूला वो एक दिन इन भुजाओं से आफताब आएगा
अब तानाशाह तेरे आँशुओ का हिसाब  चुकाएगा

चढ़ दिल्ली तूने शक्ति का एहसास खूब दिलाया है
कायरो की रक्त कणिका में पानी खूब मिलाया है
तेरी दहाड़ से हिला सिंहासन,थर थर कांप रहा है 
कर कंपन तूने धरा में,तानाशाह को मार गिराया है
ये तेवर सारे तानाशाहों के घमंडी मेहराब ढहाएगा
अब तानाशाह तेरे आँशुओ का हिसाब  चुकाएगा

लाठियां चलाई तुझपर, तुझको बंदूकों से मारा है
तेरे आंगन सूने कर डाले, तेरे घरौंदे को उजाड़ा है
तू बेबस खामोश न रह,वक़्त यलगार का आया है
चढ़ गद्दारो की छाती दिखा,ये आया वक़्त तुम्हारा है
तेरी जिद ये तेरा संघर्ष जो तुझे कामयाब बनाएगा
अब तानाशाह तेरे आँशुओ का हिसाब  चुकाएगा


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