चाँद फिर निकलने वाला है

जिसके एक दीदार पर सौ सौ  बार  दिल  को उछाला है
तारों ने  खबर दी आज  वो चाँद  फिर निकलने वाला है

एक  बार  जो   देख  लूँ आपको  तो  बेचैन  हो जाता हूँ
तुम्हारा आईना ही  जाने कैसे उसने  खुद को संभाला है

आज फिर कोई क़यामत कोई  तलातुम  आने वाला है
आज फिर उसने अपने  पैरों में  गेरुआ महावर डाला है

ये  दीन  धरम  की बातें  तो  औरो को समझाना इलाही
मेरे  लिए  तो  उनके पैर  ही मेरा  काबा और शिवाला है

बेचैनी  बेताबी  घबराहट  तनहाई इस दिल मे डाला है
तेरे इश्क में और ना जाने हमने क्या क्या रोग पाला है

दीदार  ए  तलब  की  जरा  ये  इम्तेहान तो देख बावरें
जब भी दीदार को जी चाहा तब उन्होंने घूँघट डाला है



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