एक आखिरी शाम


अपनी मोहब्बत अपनी चाहत के किस्से सुनाना जरूर
जब भी  फेरे  लेना, अपनी  शादी में हमे बुलाना जरूर

उस रात आसमान के सारे टूटे बिखरे चाँद तारे देखूंगा
तेरा  पिया  के  साथ  गठबंधन  और  सात फेरे देखूंगा

लाख अश्क़ होंगे आंखों में , चेहरे पे  खुशी दिखाऊंगा
रोते  रोते  ही सही, पर एक निवाला जरूर खाऊंगा

अपने  टूटे  सपने  लिए  तेरे  सारे   ख्वाब  सजाऊंगा
माथे पे बिंदी,पैरो में महावर अपने हाथों से लगाऊंगा

डगमगाते कदमो से उसे मंडप की सीढ़ियां चढ़ाऊंगा
उनके कंकन  बंधे  हाथ,  पिया के  हाथों में थमाउंगा

घर घर मे सबके जाकर मैं ये खुशियां बांटू क्यों  नही
मेरे महबूब को उसका महबूब मिला,मैं नाचूँ क्यूं नहीं

बिदाई,फेरे, कन्यादान, और  तेरे घर बारात देखनी है
अपनी जान की चुनरी  किसी दूसरे के हाथ देखनी है

जो वादा उससे किया था,वो वादा मैं निभाउंगा जरूर
कांपते हाथ ही सही पर तेरी डोली मैं उठाऊंगा जरूर

चेहरे पे रंग लिए तेरी खुशी खुशी तेरी बिदाई करनी है
फिर सारे ग़म सारी खुशियो से अपनी रिहाई करनी है


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