याद आती थी

कभी इस बात तो कभी उस बात पर याद आती थी
जिद्दी  थी  वो लड़की,  बात बात  पर याद आती थी

अब कौन समझाए जिक्र ए यार  की कीमत उसको
वो नासमझ मुझको तो  हर  बात पर याद आती थी

जब भी दौर चलता था इश्के मुफलिसी का इलाही
वो  इश्क़ वालो की हर करामात पर याद आती थी

इन बादलो ने जब भी परोसी थी हमे काली घटाए
जुल्फें  खोले  वो इस  खुराफात पर याद आती थी

बस ऐसे ही वो मुझे हर बरसात पर याद आती थी

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