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Showing posts from June, 2024

कोई साहिल मिला नहीं

कोई दीवाना आज डाकिया बनकर आया है

ग़ालिब-मीर सा फनकार बन जाये

सुलाया है खुद को

इश्क़ का इज़हार भी तो चाहिये

कलम भी तेरी गुलाम हो जाये।

मेरे कुछ फूल उसने अपने दिल मे भी बोया था