मेरी मौजूदगी
माना की मेरी मौजूदगी का उसे एहतराम नही
पर उसके सिवा मुझको दूसरा कोई काम नहीं
फेरहिस्त ए खास रखना उसका शौक है इलाही
मेरे अजीजों में उसके सिवा और कोई नाम नहीं
उसका उठना बैठना कामयाबी की बाजारों में
और शहर में मुझसा दूसरा कोई नाकाम नही
उसकी बातें बुरी लगें तो भी मैं बुरा कैसे मानू
बुरा मानना मेरी हैसियत के बस का काम नहीं
एक तेरी शख्शियत शोहरत की बुलंदियों पे है
और शहर में दूसरा कोई मुझसे बदनाम नही
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