खंजर हमारे मेयार तक ना आया

आंखो का इकरार उल्फत ए आसार तक न आया
उसका बेपनाह इश्क  कभी इजहार तक न आया

रास्ते में तो दोनो बेशक साथ ही चलते रहे इलाही
वजह ए खामोशी ये मोड़ कभी प्यार तक न आया

दिलकशी, उंस, अकीदत, इबादत सब थे मौजूद
फिर भी मांझी दांव लगाने मजझार तक ना आया

फन ए तगाफुल में माहिर सौदागर तू  इतना बता
ये  हुनर  आजमाने तू क्यो  बाजार तक ना आया

मोहब्बत, फिक्र और खयाल वो बेइंतहा करती थी
ये  खुदा जाने वो रिश्ता क्यो प्यार तक ना आया

दुश्मन ए अम्न तेरे वार का जवाब जरूर देते हम
पर अफसोस तेरा खंजर हमारे मेयार तक ना आया


बृजेश यदुवंशी


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