पथिक पथ बड़ा लंबा है, तुझको बस चलते जाना है
सुख हो या दुख जीवन में,
हर सांचे में ढलते जाना है
पथिक पथ बहुत लंबा है,
तुझको बस चलते जाना है।
विजय ,जयघोष और उत्सव का एक काल लिए
पर्वत सी खड़ी होंगी मुश्किलें रूप विकराल लिए
हर प्रयत्न हर आशा को तेरे वो तो बस तोड़ेंगी
अवसाद भय और निराशा से तुझको जोड़ेंगी
चढ़ पर्वत की छाती पे तुझे
शिखा ओर चढ़ते जाना है
पथिक पथ बड़ा लंबा है,
तुझको बस चलते जाना है
हरेक प्रयत्न को तेरे ये पल पल विफल करेंगी
हर सुगम राह को कठिनाई भरा दलदल करेंगी
हौशले ताकत हिम्मत ये सारे भूषायी होंगे
राह में खड़े आलोचक हार के परदायी होंगे
मृत्यु की छाती पर चढ़के
तुझे जयघोष करते जाना है
पथिक पथ बड़ा लंबा है,
तुझको बस चलते जाना है
दो कदम न चलने वाले, दौर चलाना क्या जाने
चिंगारी से डरने वाले,खुद को तपाना क्या जाने
आशा और निराशा दोनों अपनी जेबों में पाले
वश कर सबको, इनकी जिह्वा पे कस दे ताले
बेसुध हो शवानो से तुझे
मस्त गज सा बढ़ते जाना है
पथिक पथ बड़ा लंबा है,
तुझको बस चलते जाना है
जो अपनी खामियां बस पाखण्ड तले छुपाते है
उपहास दूसरों का सदा बस वही भीरु उड़ाते है
चढ़ उनके मस्तक पर विपत्तियों पे छा जा
तू स्वयं प्रलयकारी है ये सिद्ध करने नाजा
विजयी लाल गुलाल तुझे
माथे पर अपने मलते जाना है
पथिक पथ बड़ा लंबा है,
तुझको बस चलते जाना है
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