बात कोई भी हो

बात कोई भी हो, हर बात पर आपकी ही बात आती है
आप नही आते, बस रह रह कर  आपकी याद आती है

इन बदलो की मेरे साथ, कोई जरा ये बेईमानी तो देखो
जब भी रोता हूँ आँशुओ को छुपाने ये बरसात आती है

जब तुम मेरे  सपनों में आती हो तो अकेले  नही आती
भूली  बिसरी यादो की हज़ारो चुभन तेरे साथ आती है

यूँ  तो सैकड़ो बार गुज़रते है उनके मोहल्ले की गली से
कभी कभार ही उनके नजरे करम की जकात आती है

अमावस की लाखो रात सी जुदाई की बेला गुज़रती है
फिर  जाकर उनके  दीदार वाली  चांदनी रात आती है



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