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गांधी वह है , जिसकी तारीफ करके भी लोग ऊँचाई तक पहुचे, और उसकी बुराई और हत्या करके भी लोग भारत में सत्ता तक पहुँचे। गांधी भारत की पहचान है। गांधी भारत की शान है। गांधी भारत के लोगो का नाम है। गांधी वो जो सच पर डिग कर घमंड , असत्य, तानाशाही, और अत्यचार को संवेदनशीलता के साथ खत्म करे। सरदार भगत सिंह ने गांधी के बारे में कहा " गांधी सच मे देश के नायक है ,उन्होंने सारे देश को आज़ादी के लिए एक छत्र के नीचे लाया । आज गांधी की ही वजह से सारे देश मे आज़ादी के लिए का बिगुल बजा हुआ है" गांधी ने लोगो को बताया कि "असली भारत कलकत्ता और दिल्ली के कुछ वकील नही बल्कि देश के सत्तर हजार गांव से देश बनता है" और गांधी ने सच मे उन्ही लोगो की लड़ाई लड़ी।  आज भी देश मे गाँधी को गाली देने वालो के नेता विदेशो में उन्ही गांधी के नाम का ढिंढोरा पीट कर सम्मान खाते है।

आस्था अगर तर्क के प्रहार से टूट जाये या बिखर जाए तो वो आस्था नही अंधविश्वास होगा। और ऐसी आस्था का खत्म होजाना ही बेहतर है जो तर्कों को सहन करने की क्षमता न रखती हो। आस्था के सारे पहलुओं को अपने कसौटी ओर तौलो, और अगर वही खरी नही उतरती तो यदि उसे खुद भगवान ने आकर बोला हो तो भी मानने से इनकार दो। - सरदार भगत सिंह जी

देखते है उसे इन किनारों से हम

एक शाकी, एक प्याला

न तो गोलियों से गांधी मरते है , न मूर्तियों से गोडसे जैसा शैतान जिंदा होता ।

पत्रकार कहू इनको या कहू मैं भाट, ये तो सत्ता के दलाल है।

एक है जीवन

1947 में बंटवारे के समय कुछ मूर्खो ने दंगो में शामिल होकर, अपने ही भाइयो को मार काट कर देश के दुश्मनों की भरपूर मदद किया था। आज फिर उसी तरह के कुछ मूर्ख साम्प्रदायिकता फैला कर देश के दुश्मनों की मदद कर रहे है। ये ऐसा प्रभाव है जो देश को तबाह कर देगा। एक ऐसा घाव देगा जो देश को अपंग और अधमरा बना देगी। इस घाव को भरते भरते देश की आम वाली पीढ़ियों की नश्लो की नश्ले तबाह हो जाएंगी, फिर भी ये जहर बेअसर नही होगा। आज़ादी के पहले से जी देश मे बंटवारे और साम्प्रदायिकता के बीज बोने वाले दो गुनाहगारो जिन्ना और सावरकर आज भी हमारे देश के कई लोगो मे जिंदा है, और ये बिल्कुल अपने "क़ायदे आज़म" और अपने "वीर" की तरह देश को उसी मारकाट और उसी हैवानियत के दौर में ले जाने को इच्छुक है।